"अग्निः" इत्यस्य संस्करणे भेदः

No edit summary
No edit summary
पङ्क्तिः १:
अग्निः पञ्चभूतेषु अन्यतमः तथा तेजसः अभिमानीदैवतम् | अयं भगवतः मुखात् समुत्पन्नः| '''दक्षप्रजापतेः''' आत्मजा '''स्वाहा''' अग्निदेवस्य पत्नी| '''इक्ष्वाकु'''वंशसमुद्भूतस्य '''दुर्योधन'''स्यात्मजा '''सुदर्शना''' अस्य अपरा पत्नी | अर्जुनस्याश्रये खाण्डववनं दग्धवान् | तदवसरे अग्निः अर्जुनाय '''कपिध्वजोपेतं''' '''रथं''','''गाण्डीवधनुः''','''अक्षयतूणीर'''ञ्च प्रायच्छत् | अग्निना एव '''श्रीकृष्णाय''' चक्रायुधं प्रदत्तम् | अयं '''भृगु'''मुनेः शापकारणेन सर्वभक्षकोऽभवत् | '''इन्द्राय''' यदा ब्रह्मवधदोषः सम्प्राप्तः तदा दोषस्य चतुर्षु अंशेषु एकः अंशः अग्निना स्वीकृतः | रामायणे,'''सीतायाः''' पातिव्रत्यं अग्निना लोकमुखायोपदर्शितम् | '''अनलः''' इति तस्यापरं नाम | '''नास्ति अलं पूर्तिः अस्य भुञ्जानस्य''' इति कारणेन '''अनलः''' इत्युच्यते |
 
 
 
"https://sa.wikipedia.org/wiki/अग्निः" इत्यस्माद् प्रतिप्राप्तम्