"जयशङ्कर प्रसाद" इत्यस्य संस्करणे भेदः

No edit summary
No edit summary
पङ्क्तिः १३:
खग-कुल कुल-कुल सा बोल रहा,
 
किसलयकिस लय का अंचल डोल रहा,
 
लो यह लतिका भी भर लाई
पङ्क्तिः २४:
 
तू अब तक सोई है आली
 
आँखों में भरे विहाग री।
 
"https://sa.wikipedia.org/wiki/जयशङ्कर_प्रसाद" इत्यस्माद् प्रतिप्राप्तम्