"अभिज्ञानशाकुन्तलम्" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पङ्क्तिः ९:
:तत्रापि चतुर्थोंकः तत्र श्लोकचतुष्टयम् ।।
कालिदासस्य
[[वर्गः:संस्कृतसाहित्यम्]]
[[वर्गः:नाटकम्]]
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पङ्क्तिः ९:
:तत्रापि चतुर्थोंकः तत्र श्लोकचतुष्टयम् ।।
कालिदासस्य
[[वर्गः:संस्कृतसाहित्यम्]]
[[वर्गः:नाटकम्]]
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