"राजविद्याराजगुह्ययोगः" इत्यस्य संस्करणे भेदः

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पङ्क्तिः १७:
:[[९.१५ ज्ञानयज्ञेन चापि....]]
:[[९.१६ अहं क्रतुरहं....]]
:[[९.१७ पितामह्स्य जग....]]तः
:[[९.१८ गतिर्भर्ता प्रभुः....]]
:[[९.१९ तपाम्यहमहं....]]
पङ्क्तिः ३५:
:[[९.३३ किं पुनर्ब्राह्मणाः....]]
:[[९.३४ मन्मना भव....]]
 
==सम्बद्धसम्पर्कतन्तुः==
*[http://wikisource.org/wiki/भगवद्गीता भगवद्गीता] (मूलश्लिकाः)
"https://sa.wikipedia.org/wiki/राजविद्याराजगुह्ययोगः" इत्यस्माद् प्रतिप्राप्तम्