"दैवासुरसंपद्विभागयोगः" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पङ्क्तिः १:
[[File:Bhagvad Gita.jpg|thumb|right|300px|गीतोपदेशः]]
==अध्यायस्य तात्पर्यम्==
==श्लोकानाम् आवलिः==
:[[१६.२ अहिंसा सत्यम्]]
:[[१६.५ दैविसम्पद्विमोक्षाय]]
:[[१६.९ एतां दृष्टिमवष्टभ्य]]
:[[१६.१० काममाश्रित्य]]
{{भगवद्गीता}}
:[[१६.११ चिन्तामपरिमेयां]]
▲:[[१६.१ अभयं सत्वसंशुं…….]]:
:[[१६.
▲:[[१६.३ तेजः क्षमा धृतिः…….]]:
▲:[[१६.४ दम्भो दर्पोऽभिमानः…….]]:
:[[१६.१५ आढयोऽभिजनवान्]]
:[[१६.१६ अनेकचित्तविभ्रां]]
▲:[[१६.६ द्वैभूतसर्गौ लोके …….]]:
:[[१६.१७ आर्मसम्भाविताः]]
▲:[[१६.७ प्रवृत्तिं च निवृत्तिं…….]]:
▲:[[१६.८ असत्यमप्रतिष्ठं ते…….]]:
:[[१६.
:[[१६.२३ यः शास्त्रविधिम्]]
▲:[[१६.१३ इदमद्य मया…….]]:
:[[१६.२४ तस्माच्छास्त्रं]]
▲:[[१६.१४ अस्मौ मया इतः…….]]:
▲:[[१६.१८ अहंकारं बलं…….]]:
▲:[[१६.१९ तानहं द्विषतः…….]]:
▲:[[१६.२० आसुरीं योनिम् …….]]:
▲:[[१६.२१ त्रिविधं नरकस्य…….]]:
==सम्बद्धसम्पर्कतन्तुः==
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