"उत्तमः पुरुषस्त्वन्यः..." इत्यस्य संस्करणे भेदः

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:'''उत्तमः पुरुषस्त्वन्यः परमात्मेत्युदाहृतः ।'''
:'''यो लोक त्रयमाविश्य बिभर्त्यव्यय ईश्वरः ॥ १७ ॥'''
 
 
 
==पदच्छेदः==
उत्तमः पुरुषः तु अन्यः परमात्मा इति उदाहृतः यः लोकत्रयम् आविश्य बिभर्ति अव्ययः ईश्वरः ॥
 
 
==अन्वयः==
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:लोकत्रयम् = भुवनत्रयम्
:आविश्य = प्रविश्य
:बिभर्ति = धारयति ।
 
==तात्पर्यम्==
Line २४ ⟶ २१:
==सम्बद्धसम्पर्कतन्तुः==
*[http://sa.wikisource.org/wiki/भगवद्गीता भगवद्गीता] (मूलश्लिकाःमूलश्लोकाः)
 
*[http://wikisource.org/wiki/भगवद्गीता भगवद्गीता] (मूलश्लिकाः)
*[[भगवद्गीता]]
 
[[वर्गः:प्रस्थानत्रयम्]]
[[वर्गः:हिन्दूधर्मः]]
 
[[en:Bhagavad Gita]]
[[ar:البهاغافاد غيتا]]
[[bg:Бхагавад гита]]
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