"अभिज्ञानशाकुन्तलम्" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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! शीर्ष पाठ !!पद्यम् !! सन्दर्भ:
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|०१|| शमप्रधानेषु तपोधनेषु गूढं हि दाहात्मकमस्ति तेज:।स्पर्शानुकूला इव सूर्यकान्तास्तदन्यतेजोऽ भिभवाद्वमन्ति॥||२.७
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|०२|| पद्यम् || ३.४
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|०३|| पद्यम् || ५.५
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|०४|| पद्यम् || ५.२०
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|०५|| पद्यम् || ५.२५
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|०६|| पद्यम् || ६.१०
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|०७|| पद्यम् || ६.२४
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|०८|| पद्यम् || ६.२६
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|०९|| पद्यम् || ७.२
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|१०|| पद्यम् || ७.५
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|११|| पद्यम् || ७.१९
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|१२|| पद्यम् || ७.३१
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