"काल्काशिम्लाधूमशकटयानम्" इत्यस्य संस्करणे भेदः

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आङ्ग्लेयभारतस्य ग्रीष्मकालीना राजधानी [[शिमला|शिमलां]] [[हरियाणराज्यम्|हरियाणराज्यस्य]] कालकानगरेण सह संयोजयितुं क्रि.श. १८९६तमे वर्षे [[देहली]]नगरस्य अम्बालाप्रदेशस्य कस्मैश्चित् समवायाय दायित्वं दत्तम् । समुद्रस्तरार् ६५६मी. औन्नत्ये एतत् अस्ति । कालकाशकटनिस्थानकं त्यक्त्वा यानं पर्वतप्रदेशस्य वक्रमार्गे चलत् २०७६मी.उन्नतस्थानं शिमलां प्राप्नोति ।
[[ब्रिटिश]] शासन की ग्रीष्मकालीन राजधानी [[शिमला]] को [[कालका]] से जोड़ने के लिए १८९६ में [[दिल्ली]] [[अंबाला]] कंपनी को इस रेलमार्ग के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। समुद्र तल से ६५६ मीटर की ऊंचाई पर स्थित कालका (हरियाणा) रेलवे स्टेशन को छोड़ने के बाद ट्रेन शिवालिक की पहाड़ियों के घुमावदार रास्ते से गुजरते हुए २,०७६ मीटर ऊपर स्थित शिमला तक जाती है।
==शकटमार्गः==
मीटर्द्वयोत्तरषडङ्गुलस्य (न्यारो गेज़्) अयस्पट्टिकामार्गे क्रि.श.१९०३तमवर्षस्य नवम्बरमासस्य नवमदिनादारभ्य अद्यपर्यन्तं यानं चलत् अस्ति । अस्मिन् मार्गे १०३ सुरङ्गाः ८६९ सेतवः च निर्मिताः । अपि च मार्गे ९१९ वक्रताः सन्ति । अस्यां तीव्रतरा वक्रता तु ४८अंशकोणेन परिवृत्तः मार्गः अस्ति । क्रि.श.१९०३तमे वर्षे आङ्ग्लसर्वकारेण कालका-सिमला धूमशकटयानमार्गः निर्मितम् । [[भारतम्|भारतस्य]] रेल्वेविभागेन क्रि.श. २००३ अतिवैभवेन अस्य सञ्चारस्य शतमानोत्सवः आचरितः । तस्मिन् समारोहे भागं स्वीकृत्य तत्कालीनः रेल्वेसचिवः नितिशकुमारः अस्य यानसञ्चारस्य परम्परास्थानं दापयितुं युनेस्कोसम्पर्कं करोमि इति उद्घुष्टवान् ।
 
==विश्वपरम्परास्थलम्==
== रेलमार्ग ==
दो फीट छह इंच की इस [[नैरो गेज]] लेन पर नौ नवंबर, १९०३ से आजतक रेल यातायात जारी है। कालका-शिमला रेलमार्ग में १०३ सुरंगें और ८६९ पुल बने हुए हैं। इस मार्ग पर ९१९ घुमाव आते हैं, जिनमें से सबसे तीखे मोड़ पर ट्रेन ४८ डिग्री के कोण पर घूमती है।
 
वर्ष १९०३ में अंग्रेजों द्वारा कालका-शिमला रेल सेक्शन बनाया गया था। रेल विभाग ने ७ नवंबर २००३ को धूमधाम से शताब्दी समारोह भी मनाया था, जिसमे पूर्व रेलमंत्री नितीश कुमार ने हिस्सा लिया था। इस अवसर पर [[नितीश कुमार]] ने इस रेल ट्रैक को हैरिटेज का दर्जा दिलाने के लिए मामला यूनेस्को से उठाने की घोषणा की थी।
 
== विश्व धरोहर स्थल ==
यूनेस्को की टीम ने कालका-शिमला रेलमार्ग का दौरा करके हालात का जायजा लिया । टीम ने कहा था कि [[दार्जिलिंग]] रेल सेक्शन के बाद यह एक ऐसा सेक्शन है जो अपने आप में अनोखा है। यूनेस्को ने इस ट्रैक के ऐतिहासिक महत्व को समझते हुए भरोसा दिलाया था कि इसे वल्र्ड हैरिटेज में शामिल करने के लिए वह पूरा प्रयास करेंगे। और अन्ततः २४ जुलाई २००८ को इसे [[विश्व धरोहर]] घोषित किया गया।
 
"https://sa.wikipedia.org/wiki/काल्काशिम्लाधूमशकटयानम्" इत्यस्माद् प्रतिप्राप्तम्