"काल्काशिम्लाधूमशकटयानम्" इत्यस्य संस्करणे भेदः

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==विश्वपरम्परास्थलम्==
तत् पश्चात् युनेस्कोसमितेः अधिकारिणः कालकाशिमलायानस्य प्रवासं कृत्वा परिशीलनं कृतवन्तः । दार्जिलिङ्गस्य (दुर्जयलिङ्गम्) निस्थानस्य पश्चात् किञ्चिन्निस्थानम् अस्ति यत् स्वयम् अतिविशिष्टम् । अस्य धूमशकटयानमार्गस्य ऐतिहासिकं महत्त्वं परिगणयन्तः युनेस्कोसदस्याः विश्वपरम्परास्थनस्य गौरवं प्राप्स्यति इति विश्वासं प्राकटयन् । अन्ततः क्रि.श. २००८तमवर्षस्य जुलैमासस्य २४तमे दिने विश्वपरम्परास्थानमिति उद्घुष्टम् । क्रि.श. १९६०तमे काले चलनारब्धं बाष्पचालितयन्त्रस्य रेल् यानम् ऐतिहासिकं स्मारकम् इति मत्वा अद्यापि चालयन्तः सन्ति । एतद्यानम् अधुना शिमलातः कैथलीघट्टपर्यन्तं सञ्चरति ।
 
६० के दशक में चलने वाले स्टीम इंजन ने इस स्टेशन की धरोहर को बरकरार रखा है, और यह आज भी शिमला और कैथलीघाट के बीच चल रहा है। इसके बाद देश की हैरिटेज टीम ने इस सेक्शन को वल्र्ड हैरीटेज बनाने के लिए अपना दावा पेश किया था।
यूनेस्को की टीम ने कालका-शिमला रेलमार्ग का दौरा करके हालात का जायजा लिया । टीम ने कहा था कि [[दार्जिलिंग]] रेल सेक्शन के बाद यह एक ऐसा सेक्शन है जो अपने आप में अनोखा है। यूनेस्को ने इस ट्रैक के ऐतिहासिक महत्व को समझते हुए भरोसा दिलाया था कि इसे वल्र्ड हैरिटेज में शामिल करने के लिए वह पूरा प्रयास करेंगे। और अन्ततः २४ जुलाई २००८ को इसे [[विश्व धरोहर]] घोषित किया गया।
 
६० के दशक में चलने वाले स्टीम इंजन ने इस स्टेशन की धरोहर को बरकरार रखा है, और यह आज भी शिमला और कैथलीघाट के बीच चल रहा है। इसके बाद देश की हैरिटेज टीम ने इस सेक्शन को वल्र्ड हैरीटेज बनाने के लिए अपना दावा पेश किया था।
 
;बस स्टॉप का नाम भी १०३
"https://sa.wikipedia.org/wiki/काल्काशिम्लाधूमशकटयानम्" इत्यस्माद् प्रतिप्राप्तम्