"केवलादेव्-राष्ट्रियोद्यानम्" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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अस्य पक्षिविहारस्थानस्य निर्माणं २५०वर्षेभ्यः पूर्वं कृतम् । अस्य नाम केवलादेवस्य (शिवः) मन्दिरस्य नाम अङ्कितम् । एतन्मन्दिरं तु पक्षिविहरधाम्नि एव प्रतिष्ठापितम् । एतत् प्राकृर्तिकप्रवणः इति कारणेन सर्वदा वर्षाकाले अत्र महापूरः आगच्छति ।
यह उद्यान भरतपुर के महाराजाओं की पसंदीदा शिकारगाह था , जिसकी परम्परा १८५० से भी पहले से थी। यहाँ पर [[ब्रिटिश वायसराय]] के सम्मान में पक्षियों के सालाना शिकार का आयोजन होता था। १९३८ में करीब ४,२७३ पक्षियों का शिकार सिर्फ एक ही दिन में किया गया [[मेलोर्ड]] एवं [[टील]] जैसे पक्षी बहुतायत में मारे गये। उस समय के [[भारत के गवर्नर जनरल]]लिनलिथ्गो थे, जिनने अपने सहयोगी [[विक्टर होप]] के साथ इन्हें अपना शिकार बनाया।
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