"भीमबेट्का-शिलाश्रयाः" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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'''भीमबेट्का''' (भीमबैठका) [[भारतम्|भारतस्य]] [[मध्यप्रदेशराज्यम्|मध्यप्रदेराज्यस्य]] रायसेनमण्डले स्थितः पुरातनकास्य आवासः । अयम् आदिमानवैः निर्मितचित्रैः शैलाश्रयैः च प्रसिद्धः । एतानि चित्राणि शिलायुगतः मध्ययुगपर्यन्तकालस्य इति इतिहासकाराणां विश्वासः । प्राचीनकालस्य भित्तयः, लघुस्तूपानि, पाशाणनिर्मितगृहाणि, शुङ्गराजवंशस्य, [[गुप्तवंशः|गुप्तवंशस्य]] कालीनाः आभिलेखाः, परमारराजवंशीयकालस्य मन्दिरावशेषाः च अस्मिन् शिलाश्रये सन्ति । भीमबेट्काक्षेत्रं भोपालमण्डलस्य [[भारतीयपुरातत्त्वसर्वेक्षणविभागः|भारतीयपुरातत्त्वसर्वेक्षणविभागेन]] सामान्यशकस्य१९९०तमवर्षे एतत् राष्ट्रियमहत्स्थानम् इति उद्घुष्टम् । तत् पश्चात् सा.श. २००३तमवर्षे युनेस्कोद्वारा एतत् स्थानं विश्वपरम्परास्थानम् इति उद्घुष्टम् । [[महाभारतम्|महाभारतस्य]] भीमेन सह सम्बद्धं स्थानम् आसीत् अतः तस्य नाम्नि आह्वयन्ति । एताः गुहाः मध्यभारतस्य पठारस्य दक्षिणकोणे स्थिते [[विन्ध्याचलः|विन्ध्याचलस्य]] शिखरसीमान्ते सन्ति ।<ref name="इन्क्रेडिबल">{{cite web |first= |last= |author= |authorlink= |coauthors= |title= भीमभेट्कायाः गुहाः|url=http://www.incredibleindia.org/hindi/heritage/bhimbetka.htm|archiveurl= |work= |publisher= अतुल्यभारतम्|location= |trans_title= |page= |pages=०१ |language=हिन्दी |format= एचटीएम|doi= |date= |month= |year= |archivedate= |quote= |accessdate=सा.श. २००९तमवर्षस्य जुलै १८}}</ref>;अस्य दक्षिणे सतपुडायाः पर्वताश्रेण्याः आरम्भः ।<ref name="भारतम्">{{cite web |first= |last= |author= |authorlink= |coauthors= |title=भीमबेट्कायाः पर्वतगुहाः|url=http://bharat.gov.in/knowindia/bhimbetka.php |archiveurl= |work=विषयवस्तुप्रबन्धदसस्य राष्ट्रियप्रवेशद्वारम्|publisher= भारतसर्वकारः|location= |trans_title= |page= |pages=०१ |language=हिन्दी |format= पीएचपी|doi= |date= |month= |year= |archivedate= |quote= |accessdate=सा.श. २००९तमवर्षास्य जुलै१८}}</ref>अस्य संशोधनवर्षम् [[सा.श.१९५७]]-[[१९५८]]वर्षयोः डा. विष्णु श्रीधर वाकणकर्]] कृतवान् ।
==शिलाकलाः==
[[चित्रम्:A man being hunted by a beast, Bhimbetka Cave paintings.jpg|thumb|250px|
भीमभेट्कायाः शिलाश्रये ७५० गुहगृहाणि सन्ति । तेषां भित्तयः विचित्रचित्रैः सज्जिताः । पूर्वशिलायुगात् मध्यैतिहासिककालपर्यन्तः एताः गुहाः मानवानां गतिविधीनां केन्द्रः आसीत् । ।<ref name=अतुल्यम्/> बहूमूल्या ऐतिहासिकसम्पत्तिः [[भारतसर्वकारः|भारतसर्वकारस्य]]
यहाँ ७५० शैलाश्रय हैं जिनमें ५०० शैलाश्रय चित्रों द्वारा सज्जित हैं। [[पूर्व पाषाण काल]] से [[मध्य ऐतिहासिक काल]] तक यह स्थान मानव गतिविधियों का केंद्र रहा।<ref name="इन्क्रेडिबल"/> यह बहुमूल्य धरोहर अब [[भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण|पुरातत्व विभाग]] के संरक्षण में है। भीमबेटका क्षेत्र में प्रवेश करते हुए शिलाओं पर लिखी कई जानकारियाँ मिलती हैं। यहाँ के शैल चित्रों के विषय मुख्यतया सामूहिक नृत्य, रेखांकित मानवाकृति, शिकार, पशु-पक्षी, युद्ध और प्राचीन मानव जीवन के दैनिक क्रियाकलापों से जुड़े हैं। चित्रों में प्रयोग किये गए खनिज रंगों में मुख्य रूप से [[गेरुआ]], [[लाल]] और [[सफेद]] हैं और कहीं-कहीं [[पीला]] और [[हरा]] रंग भी प्रयोग हुआ है।<ref name="भारत"/> ▼
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शैलाश्रयों की अंदरूनी सतहों में उत्कीर्ण प्यालेनुमा निशान एक लाख वर्ष पुराने हैं। इन कृतियों में दैनिक जीवन की घटनाओं से लिए गए विषय चित्रित हैं। ये हज़ारों वर्ष पहले का जीवन दर्शाते हैं। यहाँ बनाए गए चित्र मुख्यतः नृत्य, संगीत, आखेट, घोड़ों और हाथियों की सवारी, आभूषणों को सजाने तथा शहद जमा करने के बारे में हैं। इनके अलावा [[बाघ]], [[सिंह]], [[जंगली सुअर]], [[हाथी|हाथियों]], [[कुत्ता|कुत्तों]] और [[घड़ियाल|घडियालों]] जैसे जानवरों को भी इन तस्वीरों में चित्रित किया गया है। यहाँ की दीवारें धार्मिक संकेतों से सजी हुई है, जो पूर्व ऐतिहासिक कलाकारों के बीच लोकप्रिय थे।<ref name="भारत"/> इस प्रकार भीम बैठका के प्राचीन मानव के संज्ञानात्मक विकास का कालक्रम विश्व के अन्य प्राचीन समानांतर स्थलों से हजारों वर्ष पूर्व हुआ था। इस प्रकार से यह स्थल मानव विकास का आरंभिक स्थान भी माना जा सकता है।
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