"ईशावास्योपनिषत्" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पङ्क्तिः ३५:
ततो भूय इव ते तमो य उ संभूत्या रताः ||१२||
इति शुश्रुम धीराणां ये नस्तद विचचिक्षिरे ||१३||
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पङ्क्तिः ३५:
ततो भूय इव ते तमो य उ संभूत्या रताः ||१२||
इति शुश्रुम धीराणां ये नस्तद विचचिक्षिरे ||१३||
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