"सदस्यः:जैन/प्रयोगपृष्ठम्" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पङ्क्तिः १९:
पहला सूत्र {{quote|सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्ग:|1-1}}
{{quote|परस्परोपग्रहो जीवानाम्|[५.२१]}}: यह सूत्र जैन धर्म का आदर्श-वाक्य है। यह [[जैन प्रतीक चिन्ह]] के अंत में लिखा जाता है।
==सन्दर्भ==
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