नारायणतीर्थप्रणीतं एकं शास्त्रीयगानम् कलय यशोदे तव बालम्

कलय यशोदे तव बालम्

पल्लवी

कलय यशोदे तव बालम् ।
खल बालक खेलन लोलम् ॥

चरणम्

अपहृत-बहुतर-नवनीतं अनुपम-लीला-नटनकृतम् ।
कपट-मानुष-बालक-चरितं कनक-कन्दुक-खेलन-निरतम् ॥१॥ (कलय..)

पथि-पथि-लुण्ठित-दधि-भाण्डं पाप-तिमिर-शत-मार्ताण्डम् ।
अधिक-बलोद्धृत-जगदण्डं आनन्द-बोधरसं अखण्डम् ॥ २॥ (कलय..)

मल्ल-बालक-खेलन-चतुरंमनसिजकोटि-लावण्यधरम् ।
कल्याणगुण नवमणि-निकरम्कमनीय-कौस्तुभ-मणि-शेखरम् ॥३॥ (कलय..)

नवनीतचोर-बालक-चरितंनन्दादि-व्रज-पुण्य-तरु-फलितम् ।
ध्रुवपद-फलमेतत् अति ललितंभुवि नारायण तीर्थ यति भणितम् ॥४॥ (कलय..)

पल्लवी कलय यशोदे तव बालम् ।
खल बालक खेलन लोलम् ॥

"https://sa.wikipedia.org/w/index.php?title=कलय_यशोदे_तव_बालम्&oldid=422836" इत्यस्माद् प्रतिप्राप्तम्