पिबरे रामरसम्
सदशिवब्रह्मेन्द्रप्रणीतं एकं शास्त्रीयगानम् पिबरे रामरसम्
गीतम्
सम्पादयतुपिबरे रामरसम्, रसने पिबरे रामरसम् ॥
दूरीकृत पातक संसर्गम् ।
पूरित नानाविध फलवर्गम् ॥
जनन मरण भय शोक विदूरम् ।
सकल शास्त्र निगमागम सारम् ॥
परिपालित सरसिजगर्भाण्डम् ।
परमपवित्रीकृत पाषाण्डम् ॥
शुद्ध परमहंस आश्रमगीतम् ।
शुक शौनक कौशिक मुखपीठम् ॥