#[[१८.मोक्षसंन्यासयोगः|मोक्षसंन्यासयोगः]]
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:[[१४14.१1 परं भूयः प्रवक्ष्यां…..]]:
:[[१४14.२2 इदं ज्ञानमुपाआश्रित्य…..]]:
:[[१४14.३3 मम योनिर्महदब्रह्म…..]]:
:[[१४14.४4 सर्वयोनिषु कौन्तेय…..]]:
:[[१४14.५5 सत्वं रजस्तम इति…..]]:
:[[१४14.६6 रजस्तमश्चाभिं…..]]:
:[[१४14.७7 रजो रागात्मकं…..]]:
:[[१४14.८8 तमस्त्वज्ञानजं…..]]:
:[[१४14.९9 सत्वं सुखे सञ्जं…..]]:
:[[१४14.१०10 रजस्तमश्चाभिं…..]]:
:[[१४14.११11 सर्वद्वारेषु देहे…..]]:
:[[१४14.१२12 लोभः प्रवृत्तिः…..]]:
:[[१४14.१३13 अप्रकाशो प्रवृत्तिं…..]]:
:[[१४14.१४14 यदा सत्वे प्रवृद्धे…..]]:
:[[१४14.१५15 रजसि प्रलयं गत्वा…..]]:
:[[१४14.१६16 कर्मणः सुकृतस्य…..]]:
:[[१४14.१७17 सत्वात् सञ्जायते…..]]:
:[[१४14.१८18 ऊर्ध्वं गच्छन्ति…..]]:
:[[१४14.१९19 नान्यं गुणेभ्यः…..]]:
:[[१४14.२०20 गुणानेतानतीत्य …..]]:
:[[१४14.२१21 कैर्लि ङ्गैस्त्रीन्…..]]:
:[[१४14.२२22 प्रकाशं च् प्रवृत्तिं…..]]:
:[[१४14.२३23 उदासीनवदासीनः…..]]:
:[[१४14.२४24 समदुःखसुखः…..]]:
:[[१४14.२५25 मानापमानयोस्तुं…..]]:
:[[१४14.२६26 मां च योऽव्यभिं…..]]:
:[[१४14.२७27 ब्रह्मणो हि प्रतिष्ठा…..]]:
==सम्बद्धसम्पर्कतन्तुः==
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