"रावणः" इत्यस्य संस्करणे भेदः

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==रावणस्य विवाहः==
कालक्रमेण रावणः लङ्कायाः राजनं कुबेरं कूटेन लङ्कां त्यक्तुं विवशम् अकरोत् । पश्चात् रावणः राजा भूत्वा सहोदरैः सह लङ्कायां न्यवसत् । लङ्काधिकारप्राप्तेः पश्चात् शूर्पणखायाः विवाहं दानवराजेन विद्युविह्वा इत्यनेन सह कृतवान् । रावणः स्वयं दितिपुत्रस्य मयस्य कन्यां [[मन्दोदरी|मन्दोरीं]] परिणितवान् । विरोचनस्य पुत्रस्य बलेः कन्यां वज्रज्वलां कुम्भकर्णः परिणीतवान् । गन्धर्वरजस्य शैलूषस्य कन्यया सरमया सह विभीषणस्य विवाहः अभवत् । कालक्रमेण मन्दोदरी [[मेघनादः]] इति पुत्रम् असूत यः कालक्रमेण इन्द्रं विजित्य इन्द्रजित् इति नाम प्राप्तवान् ।
 
फिर दशग्रीव ने लंका के राजा [[कुबेर]] को विवश किया कि वह लंका छोड़कर अपना राज्य उसे सौंप दे। अपने पिता विश्रवा के समझाने पर कुबेर ने लंका का परित्याग कर दिया और रावण अपनी सेना, भाइयों तथा सेवकों के साथ लंका में रहने लगा। लंका में जम जाने के बाद अपने बहन शूर्पणखा का विवाह [[कालका]] के पुत्र दानवराज [[विद्युविह्वा]] के साथ कर दिया। उसने स्वयं [[दिति]] के पुत्र [[मय]] की कन्या [[मन्दोदरी]] से विवाह किया जो [[हेमा]] नामक अप्सरा के गर्भ से , प्रचलित जनश्रुतियो के अनुसार राजस्थान के जोधपुर के निकट मन्डोर मे उत्पन्न हुई थी। विरोचनकुमार [[बलि]] की पुत्री [[वज्रज्वला]] से कुम्भकर्ण का और गन्धर्वराज महात्मा [[शैलूष]] की कन्या [[सरमा]] से विभीषण का विवाह हुआ। कुछ समय पश्‍चात् मन्दोदरी ने [[मेघनाद]] को जन्म दिया जो इन्द्र को परास्त कर संसार में [[इन्द्रजित]] के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
 
==रावणेन शङ्करप्रार्थना==
"https://sa.wikipedia.org/wiki/रावणः" इत्यस्माद् प्रतिप्राप्तम्