फिर दशग्रीव ने लंका के राजा [[कुबेर]] को विवश किया कि वह लंका छोड़कर अपना राज्य उसे सौंप दे। अपने पिता विश्रवा के समझाने पर कुबेर ने लंका का परित्याग कर दिया और रावण अपनी सेना, भाइयों तथा सेवकों के साथ लंका में रहने लगा। लंका में जम जाने के बाद अपने बहन शूर्पणखा का विवाह [[कालका]] के पुत्र दानवराज [[विद्युविह्वा]] के साथ कर दिया। उसने स्वयं [[दिति]] के पुत्र [[मय]] की कन्या [[मन्दोदरी]] से विवाह किया जो [[हेमा]] नामक अप्सरा के गर्भ से , प्रचलित जनश्रुतियो के अनुसार राजस्थान के जोधपुर के निकट मन्डोर मे उत्पन्न हुई थी। विरोचनकुमार [[बलि]] की पुत्री [[वज्रज्वला]] से कुम्भकर्ण का और गन्धर्वराज महात्मा [[शैलूष]] की कन्या [[सरमा]] से विभीषण का विवाह हुआ। कुछ समय पश्चात् मन्दोदरी ने [[मेघनाद]] को जन्म दिया जो इन्द्र को परास्त कर संसार में [[इन्द्रजित]] के नाम से प्रसिद्ध हुआ।