"कबीरदासः" इत्यस्य संस्करणे भेदः

No edit summary
 
No edit summary
पङ्क्तिः ३:
His monist philosophies and ideas of loving devotion to God are expressed in metaphor and language from both the Hindu [[Vedanta]] and [[Bhakti]]
streams.
 
भजो रे भैया
-- संत कबीर
 
भजो रे भैया राम गोविंद हरी ।
राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी ॥
 
जप तप साधन नहिं कछु लागत, खरचत नहिं गठरी ॥
संतत संपत सुख के कारन, जासे भूल परी ॥
कहत कबीर राम नहीं जा मुख, ता मुख धूल भरी ॥
"https://sa.wikipedia.org/wiki/कबीरदासः" इत्यस्माद् प्रतिप्राप्तम्