सदस्यः:सतीश भार्गवः/प्रयोगपृष्ठम्
Sanskrit shayari
भवेत्तामपि सुस्नेहः नैश्चयिकन्न वर्तते।
प्रियता प्रियतामूल्यमावश्यकन्न वर्तते।।
उसको भी हमसे मोहब्बत हो जरूरी तो नहीं,, इश्क ही इश्क की कीमत हो जरूरी तो नहीं
He must also be in love with us, it is not necessary that love should be the price of love.