सदस्यः:Sush~sawiki/प्रयोगपृष्ठम्
रघुवंशमहाकाव्यम्
काव्यकी उपादेयता
महषिने कहा है - धमोथियोको धमॆ, कामार्थियॊकॊ काम, दुष्टोको निग्रह, कायरोको साह्स, शूरवीराको, उत्साह, मूखौ को ञान, विदूनोकी वैदुष्य एवं दुःखियो, शान्तॊ और शॊकातोलको विश्न्ति देनेवाला तथा धमॆ,यश, आयुष्य को देनेवाला, वुदिवधॆक एवं परमहितकारक काष्य है | भामहाचायॆने काव्यको धमॊथॆकाममोङरुप पुरुषाथॆचतुष्टयका साधन कहा है तथा मम्मटाचायॆने काव्यको यश, धन एवं व्यवहारङानका दाता, अमङगलनाशाक, तत्काल परमसुखद्प्रद और कान्तावत् उपदेशप्रद वतलाया है|
अव प्रच्ज यह उठता है कि वेदान्त, उपनिपद् आदि विविध शास्त्राका परिशीलन