भारतीय नृत्य

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भारतीय नृत्य उपादा शश्वत् शैली इव शास्त्रीय च लोक | भिन्न शैली नृत्य भिन्न विभागे व्युत्पन्न इति | संगीत नाट्य अकडेमि राष्ट्रीय प्रदर्शन कला अकडेमि अस्थि | तत् अष्ट शास्त्रीय नृत्य विध जानाति, यावद् अन्ये अधिक विधाः जानाति | एते संस्कृतं पाठ्य "नाट्य शास्त्र" च देवव्रता प्रदर्शन कला व हिन्दु संस्कृति मूल इति |भारत देशे बहुविद लोका नृत्य सन्ति | भारतीय चलनाचित्रे बोल्लिवॊड् नृत्य आथि प्रसिद्ध |

शास्त्रीय नृत्य

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शास्त्रीय नृत्य बहुविदा प्रदर्शन कला व छात्र पद अस्ति | संगीत नाटक अकडेमि अष्ट स्त्रिया नर्तय जानाति - तत् भरतनाट्यम्, कुचिपुदि, कथक्, ओडिस्सि, कथकली, सत्रिय, मणिपुरी च मोहिनिअट्टम् सन्ति | दरिद विल्लिंस इव पडितः छौ, यक्षगान च भगवत मेल सूचि समाचिनोति | संस्कृति साचिव्य भारतीय शासन छौ नृत्य स्त्रिया नृत्य तत्र समाचिनोति | एतानि नृत्य सम्प्रदायतः प्रदेशे अस्ति | सर्वे स्थानीय वा संकृत संगीत च अनुवाद समविशयति | ते एकताय अन्तरक कल्पनाः रीति, अभिनय च वेशभूषा विकल्पे रूपयति |

संभक्त आलोकनाह्

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सर्व प्रधान शास्त्रीय नृत्य त्रीणि समानवर्गः सन्ति | नाट्यशस्त्रे इव नृत्त , नृत्य , नाट्य प्रस्ताव इति |

नृत्त प्रदर्शन अमूर्त , द्रुत च विरचितपद इति | प्रेक्षक पवन गति प्रेक्षयति | नृत्त चरण, प्रकार, वेग, अध्याचार च प्रतिरूप इति केन्द्रिकरोति | नृत्त इव विवरण न इति, कथानक न इति, केवलं पारिभाषिकत्वं इति |

नृत्य मन्थर इति | सः भावनाः च कथानक प्रेक्षकाय उपनयति | हिन्दु पुरान कथानक अति प्रसिद्ध नर्तय बन्धः इत्ति | नर्थक अथवा नर्थकी एक पुरातन अथवा अध्यात्मिक सन्देश उच्चारयति | नृत्य पदेन निःशब्द अभिव्यक्ति प्रतिवपति |

नाट्यम् रूपक अस्ति | सामान्यतः युग्मं प्रदर्शन अति परन्तु अकेला नर्थक अथवा नर्थकी प्रदर्शयति सम्भावित | नाट्य कथानक च रूपं प्रतिवपति | नाट्य नृत्य भूतेन च प्रतिवपति |

शास्त्रीय नृत्य

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शास्त्रीय नृत्य बहुविदा प्रदर्शन कला व छात्र पद अस्ति | संगीत नाटक अकडेमि अष्ट स्त्रिया नर्तय जानाति - तत् भरतनाट्यम्, कुचिपुदि, कथक्, ओडिस्सि, कथकली, सत्रिय, मणिपुरी च मोहिनिअट्टम् सन्ति | दरिद विल्लिंस इव पडितः छौ, यक्षगान च भगवत मेल सूचि समाचिनोति | संस्कृति साचिव्य भारतीय शासन छौ नृत्य स्त्रिया नृत्य तत्र समाचिनोति | एतानि नृत्य सम्प्रदायतः प्रदेशे अस्ति | सर्वे स्थानीय वा संकृत संगीत च अनुवाद समविशयति | ते एकताय अन्तरक कल्पनाः रीति, अभिनय च वेशभूषा विकल्पे रूपयति |

संभक्त आलोकनाह्

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सर्व प्रधान शास्त्रीय नृत्य त्रीणि समानवर्गः सन्ति | नाट्यशस्त्रे इव नृत्त , नृत्य , नाट्य प्रस्ताव इति |

नृत्त प्रदर्शन अमूर्त , द्रुत च विरचितपद इति | प्रेक्षक पवन गति प्रेक्षयति | नृत्त चरण, प्रकार, वेग, अध्याचार च प्रतिरूप इति केन्द्रिकरोति | नृत्त इव विवरण न इति, कथानक न इति, केवलं पारिभाषिकत्वं इति |

नृत्य मन्थर इति | सः भावनाः च कथानक प्रेक्षकाय उपनयति | हिन्दु पुरान कथानक अति प्रसिद्ध नर्तय बन्धः इत्ति | नर्थक अथवा नर्थकी एक पुरातन अथवा अध्यात्मिक सन्देश उच्चारयति | नृत्य पदेन निःशब्द अभिव्यक्ति प्रतिवपति |

नाट्यम् रूपक अस्ति | सामान्यतः युग्मं प्रदर्शन अति परन्तु अकेला नर्थक अथवा नर्थकी प्रदर्शयति सम्भावित | नाट्य कथानक च रूपं प्रतिवपति | नाट्य नृत्य भूतेन च प्रतिवपति |

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