वित्तम्

[१] | वित्तम् सहायं उपार्जन लाभ कृयथे |

वित्तम् विधानि संथि | ते

१)सार्वजनिक वित्तम्| २)समामेलित वित्तम्| ३)वैयक्तिक वित्तम्|

अरुण झैत्लेय् गणनामहामात्र [२]| गणनामहामात्र सर्व मुक्य अदिकारि 'अरुण झैत्लेय्' तमे वर्षे २०१७ | गणनामहामात्र सर्व मुक्य अदिकारि प्रकृति वित्तम् रास्त्र शासन भारतं| गणकमहामात्र भागिन् तत् कार्यं | गणकमहामात्र भागिन् फ़िश्चल् पोलिच्य तत् भारतं| भारतं प्रतम गणकमहामात्र नाम र.क.षण्मुखं चेत्त्य | वित्तम् वेषणा स्थगति वित्तकोष| वित्तम् वेषणा स्थगति [३]| वित्तम् वेषणा स्थगति वित्तम् अनुसेवा | वित्तम् अनुसेवा शिक्यावत्| वित्तम् अनुसेवा समन्वागत पृथग्विध शासन अगेञ्चिएस् | वित्तम् अनुसेवा समन्वागत पृथग्विध वैयक्तिक अगेञ्चिएस् |

महत्वपूर्ण वित्तम्

वित्तम् अनुसेवा व्यकसत् प्रधान मन्त्री जन धन योजना | कस्तं इथी भागं छिन्न वचनीयत्व | कस्तं इथी भागं छिन्न वित्तमात्रा | कस्तं इथी भागं छिन्न मरणं | कस्तं इथी भागं छिन्न असमर्थता | कस्तं इथी भागं छिन्न वार्त | कस्तं इथी भागं छिन्न दीर्घ अवधि रक्षा च | प्रथि दिनं जन्ह व्यवसायः कुर्वन्थि उपार्जन लब्धि च | देश सर्वे दिने व्यवसायः कुर्वन्थि उपार्जन लब्धि च | विदेश वासि जन: वित्तम् सहयने उपार्जन लाभ: | ए चोम्मेर्चे विषये वित्तम् अधिक कार्यं क्रियते | वित्तम् ए चोम्मेर्चे अधिक सहय कुर्वन्थि | वित्तम् सम्बद्ध व्यवसायं | वित्तम् सम्बद्ध ए चोम्मेर्चे | वित्तम् सम्बद्ध आपण | वित्तम् सम्बद्ध विज्ञापन | स: विदेश: विविध वित्तम् बवथि | देश विदेश वित्तम् न सम: |वित्तं विधित्समान इथि वित्तं पदवी, यथार्थ गुप्ति, कर उपक्रम, सेवानिकृत्ति उपक्रम, विनियोगफल,पस्त्या उपक्रम| वित्तं छोटिक इथि मनुष्य जीवनं | वित्तं विना मनुष्य जीवनं कस्तं संथि | सर्व जियभिहि वित्तं विना न सदन्थि | वित्तं सहयन्थि समामेलित मनुषय्म | वित्तं सहयन्ति मिलनम् मानवं | वित्तं विना सर्व कार्य न लब्यथि | स्र्वेजिवे जीव रशिहि वित्तं विना जेवनं न बवन्थि | वित्तं सहयन्ति मिलनम् मानवं | वित्तं विना सर्व कार्य न लब्यथि | स्र्वेजिवे जीव रशिहि वित्तं विना जेवनं न बवन्थि | वित्तं सहयन्ति सक्रिय-विपणि दानं संपादनं | स: सर्व व्यापारी दानं संपादनं सक्रिय-विपणि बवन्थि | वित्तं विना सक्रिय-विपणि इस न उपयोदं | सर्वे सक्रिय-विपणि विना वित्तं तत् कार्यं न क्रियामि | अर्थशास्त्रम् नपुंसकलिङ्गम् चाणक्स्य अर्थशास्त्रं ऎतॆषु दिनॆषु अपि अन्वॆति । अन्यभाषासु हिन्दी-अर्थव्यवस्था, अर्थशास्त्र, वित्तं सहयन्थि |

रुपॆस् भारत देशे वित्तं स्नेहमय रुपॆस् (₹ )| जन: अस्य तव संपदत्य रुपॆस् इन भारत देशे | रुपॆस् प्रधान वित्तं | प्राचीन काले वित्तं प्रयोक्तव्य नाणक: | प्राचीन काले जन: नाणक: प्रतिपाण |

  1. वित्तम्
  2. 'अरुण झैत्लेय्'
  3. अभिरक्षा
"https://sa.wikipedia.org/w/index.php?title=सदस्यः:Kalburgi&oldid=443017" इत्यस्माद् प्रतिप्राप्तम्