लोट् लकारः
संस्कृतभाषायां कालविध्यादिक्रियाः निर्मातुं लकारः इति काचित् व्यवस्था अस्ति । तत्र लकाराः दश भवन्ति ते यथा...
१.लट् । २.लेट् । ३.लङ् । ४.लुङ् । ५.लिट् । ६.लिङ् (विधिलिङ् च आशिर्लिङ्) । ७.लोट् । ८.लुट् । ९.लृट् । १०.लृङ् ।'
एते दश लकाराः द्विधा विभक्ताः सन्ति ।
- सार्वधातुकाः / सविकरणकालार्थाः
- अर्धधातुकाः / अविकरणकालार्थाः
तत्र लोट् लकारः आज्ञां उत प्रश्नं बोधयति ।
लट् लकारः(परस्मैपदम्) | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
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प्रथमपुरुषः | पठतु/पठतात् | पठताम् | पठन्तु |
मध्यमपुरुषः | पठ | पठतम् | पठत |
उत्तमपुरुषः | पठानि | पठाव | पठाम |
लोट् लकारः(परस्मैपदम्) | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
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प्रथमपुरुषः | तु/तात् | ताम् | अन्तु |
मध्यमपुरुषः | - | तम् | त |
उत्तमपुरुषः | आनि | आव | आम |
लोट् लकारः(आत्मनेपदम्) | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
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प्रथमपुरुषः | सेवताम् | सेवेताम् | सेवन्ताम् |
मध्यमपुरुषः | सेवस्व | सेवेथाम् | सेवध्वम् |
उत्तमपुरुषः | सेवै | सेवावहै | सेवामहै |
लोट् लकारः(आत्मनेपदम्) | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
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प्रथमपुरुषः | ताम् | इताम् | अन्ताम् |
मध्यमपुरुषः | स्व | इथाम् | ध्वम् |
उत्तमपुरुषः | ऐ | आवहै | आमहै |
टिप्पणी
सम्पादयतु- संस्कृतशब्दचन्द्रिका Vidvan S.Ranganatha Sharma, Sri Surasaraswathi Sabha, Bangalore, India,1994.
- अनुवादप्रदीपः Sri Surasaraswathi Sabha, Bangalore, India,1997.